The Ultimate Guide To भाग्य Vs कर्म

जहां समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया, वहीं समुद्र से देवी लक्ष्मी और दिव्य शंख, कौस्तुभ मणि जैसी दिव्य वस्तु भी निकली जो भगवान विष्णु को प्राप्त हुईं, यही है भाग्य की महिमा। इस पर नारद मुनि ने प्रश्न उठाया कि समुद्र मंथन में सभी का बराबर-बराबर योगदान था, फिर भी किसी को लक्ष्मी प्राप्त हुईं और किसी को विष क्यों प्राप्त हुआ।

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बिजनेस न्यूजट्रंप ऐसा कौन सा व्यापार करना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने शहबाज शरीफ की जगह असीम मुनीर को दावत दी?

Jb insan dunia m jnm lenta h uska bhagya pehle hi teh ho jata h .karm to vo terrible m krta h…es lyi luck overweigh the karma ..bcoz jo luck m likha hota h krm b usi ke acc hote h

कर्म एक ऐसा सिद्धांत है जो click here भाग्य को समझने में मदद करता है। हम मानते हैं कि केवल हमारे कार्य ही कर्म हैं, जबकि हमारे द्वारा सोचे गए हर विचार और बोले गए हर शब्द भी कर्म के निर्माण में भूमिका निभाते हैं। “जैसा मेरा कर्म, वैसा मेरा भाग्य।” यही वह नियम है जो हर व्यक्ति के भाग्य को निर्धारित करता है। कर्म को समझना हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि प्रत्येक कार्य, शब्द और विचार का एक परिणाम होता है और यह हमें बेहतर बनने के लिए प्रेरित करता है।

तो चलिए अपनी डिबेटिंग स्किल्स दिखाइए और अपने तर्कों से आपे उलट विचार रखने वालों को भी अपनी बात मानने पर मजबूर कर दीजिये! ????

ये मंजिलें तय करने के लिए उन्हें बहुत मेहनत और योजनाबद्ध तरीके से काम करना पड़ा

बच्चों को पता नहीं था कि उधर से कोई गुजर रहा है और न ही राहगीर को पता था कि बच्चे आम तोडनÞे के लिए पत्थर फेंक रहे हैं। ऐसे में एक पत्थर आकर उसके सिर में लगा। अब जिस बच्चे के पत्थर से राहगीर घायल हुआ, उसने पत्थर आम तोडनÞे के लिए फेंका (कर्म) था न कि चोट पहुंचाने के लिए। अर्थात जिस उद्देश्य के लिए कर्म किया गया वह तो पूरा हुआ नहीं उल्टे एक व्यक्ति घायल हो गया। यहां कर्म और भाग्य दोनों को देखा जा सकता है। बच्चे का कर्म राहगीर का दुर्भाग्य बन गया।

प्रेमानंद महाराज के पास कई लोग अपनी जिज्ञासाएं और समस्याएं लेकर आते हैं। प्रेमानंद महाराज के विचार और उपदेश भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं और वेदांत पर आधारित होते हैं और इसी ज्ञान क आधार पर वो लोगों के सवालों का समाधान करते हैं। जब उनसे ये सवाल पूछा गया कि क्या कर्म के द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है, तो उन्होंने कहा कि कर्म और भाग्य दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं और ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।

हो सकता है फेल भी हो जाए

खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।

आप पहले तय कर लीजिये कि आप पक्ष में हैं या विपक्ष में और उसी के मुताबिक अपना कमेंट डालिए.

Newton regulation se each motion has an equivalent & opposite response.. To karm hua to end result aayega h aur ye final result kanhi good aayega ya negetive wahi bhagya hai..

वाकई में कर्म ही हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l कर्म का महत्व बताती हुई हरिवंश राय बच्चन जी की एक कविता मुझे याद आ रही है l

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